ठेहर जा
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ठेहर जा
सुन एक दास्तान और सुन के ठेहर जा
सोच उस बारे में और सोच के ठेहर जा
मोहताज है तो इन हकीकतो का सामना कर
लड उनसे और फिर थोड़ा हार के ठेहर जा
तूने चाहे दी हो सब को एक जैसी ऐहमियत
पर अकेला है तू अकेला ही रोके ठेहर जा
कुछ लोग आए बातें हुई और दिल से जुड़े
उन जुड़े धागों को अब तू तोड़ के ठेहर जा
जानता हूं नहीं जी सकता तू उन लोगों के बिना पर
अगर जीत सके जो मौत से तब तक जीके जा
आखिर कब तक ऐसे चुप रहेगा मेरे ओ दिल
जला दे उन यादों को और उन में जलके ठेहर जा।
Poem in hindi which tells us to stop in life for while. We need to stop running for everything in life. & just take one deep breath for ourselves.
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