Tuesday, August 27, 2019

Puzzle poem

Puzzle poem

Puzzle poem is not the title of the poem. In fact the title is hidden inside the following words of poem. It's challenge for you to find out the title & hint & title both is there in the following words

Just read the poem & reply your answer in the comment box. After 24 hour I'll declare the actual answer.

Your puzzle is here

दोनों का प्यार कहीं शब्दों में घूम था 
ललकार थी गुस्से की अहंकार मजबूर था

फना हो जाना पहले अक्षर पर बिना सोचे 
जोर कहीं और लगाया तो तुम्हें हार ने से कोई ना रोके

किनारे की तरफ ही जा रहे हो बस आगे बढ़ते रहो
कम पड़ जाए अगर हौसला फिर भी पहला कदम चढ़ते रहो

हार गए अगर फिर भी कोशिश करने की खुशी मिलेगी
नीचे गिर भी जाते हो अगर तो फिर से उठ खड़े होने की हिम्मत मिलेगी।

I wish you very all the best. It's just kind of game. Let's play & sharp out minds. I'll wait for your answer. 

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